मीठा दंड
एक दिन बादशाह अकबर बहुत चिंतित मुद्रा में दरबार में आये बादशाह
ने दरबार में आये सभी मंत्रियों की तरफ देखा|
और बोले “माननीय मंत्री मुझे बताये कि जिसने मेरी दाड़ी खीचने की
हिमत्त की है उसे हम कौन सी सजा दू”
दरबार में सभी इस तरह के सवाल पर चिंतित हो गये इस तरह के अपराध के
लिए सब लोग आपस में चर्चा करने लगे कि किसकी हिम्मत की बादशाह की दाढ़ी खीचे ?
मंत्रियों में से एक ने कहा ‘महाराज जिस किसी ने भी यह हरकत करने की कोशिश की है उसके हाथ काट लेने चाहिए'
दुसरे मंत्री ने कहा “जी महाराज उसे प्राण दंड देना
चाहिए"
फिर एक और मंत्री ने खड़े होकर कहा,”महाराज, इस तरह के दैत्य को
उम्र कैद की सजा मिलनी चाहिए उसे चूहों के साथ तहखाने में फेंक देना चाहिए”
उपयुक्त सजा के लिए कई विचार आने लगे जैसे वह चर्चा में बढ़ते गए
सभी मंत्री और भी रचनात्मक होते गए
अकबर और भी मजे के साथ उन सभी की बातों को सुन रहा था
अंत में उन्होंने बीरबल की तरफ देखा और कहा,” क्यों प्रिय बीरबल,
तुम इतने शांत क्यों हो ?
तुम्हारे मुताबिक मेरी दाढ़ी खींचने की हिम्मत करने वाले के लिए
उपयुक्त सजा क्या होनी चाहिए?”
बीरबल उठा और बादशाह की ओर सम्मान से सिर झुकाकर बोला, “महाराज उस
पर चुम्बन की बौछार करनी चाहिए
उसे गले लगाना चाहिए और उसे खाने के लिए खूब सारी मिठाईया देनी
चाहिए”
यह सुनकर सभी दरबारी हैरान हो गए उसमे से एक मंत्री ने कहा ‘महाराज
बादशाह की दाढ़ी खीचना एक जुर्म से कम नहीं है
और बीरबल चाहते है कि उसको मिठाई दी जाए अकबर मुस्करा रहे थे उन्हों
ने बीरबल से पूछा “आप को क्यों लगता है की यह एक उपयुक्त सजा है”
बीरबल ने कहा महाराज आपके पोतो के अलावा आपकी दाढ़ी खीचने की हिम्मत
और कौन कर सकता है बीरबल सही था
उस सुबह जब बादशाह अपने पोते के साथ खेल रहे थे तब उसने शरारत से
अपने दादाजी की दाढ़ी को खीच लीया था|
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